
Manoj Singh
(advocate & social worker)






About
प्रारंभिक शिक्षा डीपी मेमोरियल पब्लिक स्कूल रतनलाल नगर से हुई। इसके बाद कानपुर के गोविंद नगर स्थित मोहन विद्या मंदिर इंटर कॉलेज से अपनी दसवीं एवं 12वीं की पढ़ाई पूरी की।
साल 1995 में स्नातक की पढ़ाई के लिए वह क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज गये। यहीं से उनके छात्र राजनीति के जीवन की शुरुआत हुई। दिन रविवार 13 मार्च 1994 की एक घटना ने उन्हें काफी आहत किया। घटना के अनुसार उनके जीव विज्ञान के शिक्षक राम शंकर शुक्ला जी के यहां होली के त्योहार मिलने गए थे। इसी दौरान उनके घर पर कुछ अपराधी उनकी हत्या के उद्देश्य से उनके घर आये थे। इसी बीच मनोज सिंह वहां पहुंचे। वहीं इन अपराधियों ने बीचबचाव करने आये मनोज सिंह पर चाकुओं से प्राण घातक हमला कर दिया। इस हमले के दौरान मनोज के पेट और हाथ में गंभीर चोटें आईं। इस घटना के बाद पुलिस ने उनकी मदद के बजाये उन्हें ही जेल में बंद कर दिया और उन्हें बेइज्जत किया। राधेश्याम यादव नाम के चौकी इंचार्ज रतनलाल नगर जोकि थाना गोविंद नगर में आता है इंसपेक्टर के गलत व्यवहार से आहत मनोज सिंह ने राजनीति करने का फैसला लिया। मनोज का इस घटना पर कहना था कि उनकी हत्या की साजिश के तहत यह हमला किया गया था। । इसके बाद से ही मनोज सिंह का छात्र राजनीति में रुझान बढ़ा।
विद्यार्थी एवं छात्र नेता रहे, विद्यार्थियों के लिए तमाम आंदोलन चलाये। शुरूआती दिनों में युवाओं के बीच अच्छी पकड़ रही। साल 1999 से लेकर 2009 तक विद्यार्थी राजनीति में लगातार सक्रिय रहे। कानपुर छात्र संघ किंग मनोज सिंह का श्लोगन उन्हें युवाओं के बल पर मिला।
2000- 2001 में युवा और छात्रों के बीच एक अलग पैठ, छह साल बाद कानपुर न्यायालय ने मनोज सिंह को दोषमुक्त किया
2000 के दशक में कानपुर में युवा और छात्रों के बीच एक अलग पैठ बनाने की वजह से उन्हें तमाम युवा रत्न सम्मान से कानपुर विश्वविद्यालय ने उनको सम्मानित किया। साल 2000 में मनोज सिंह ने पहली बार छात्र संघ का चुनाव लड़ा। जो कि हाईकोर्ट स्टे की वजह से निरस्त कर दिया गया था। दूसरा चुनाव उन्होंने अगले साल 2001 में लड़ा फिर तीसरा चुनाव 2002 में लड़ा। मनोज सिंह के विरोधी उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहते थे इसी वजह से तीन साल तक चुनाव में स्टे लगा रहा।
2002 टोनी यादव हत्याकांड
साल 2002 में वोटिंग के ठीक एक दिन पहले अगस्त 2002 में डीबीएस कॉलेज के छात्र नेता टोनी यादव छात्र नेता की हत्या हुई जिसके मनोज प्रत्यक्षदर्शी थे। देशव्यापी आंदोलन चला। मामले को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव मनोज सिंह के घर पहुंचे। सपा ने इस आंदोलन को देखकर और मनोज की बढ़ती लोकप्रियता से प्रभावित होकर उन्हें सपा में शामिल होने के लिए कहा। लेकिन मनोज ने पार्टी से इतर अपनी छात्र राजनीति को और मजबूत करना शुरू कर दिया था। अक्टूबर 2002 में हाई कोर्ट के निर्देशानुसार पुराने बैलेट बॉक्स डीबीएस कॉलेज छात्र संघ चुनाव के खोले गए जिसमें मनोज सिंह ऐतिहासिक मतों से छात्र संघ अध्यक्ष पद जीते थे।
साल 2003 में फीस वृद्धि को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन
– मनोज सिंह ने छात्रों के समर्थन में फीस वृद्धि के फैसले के खिलाफ जाकर अपना आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के बाद तत्कालीन सरकार बसपा की सरकार ने फीस वृद्धि का फैसला वापस ले लिया था। ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा था।
साल 2004 में अपने समर्थकों और छात्रों के साथ बसपा जॉइन की
बसपा जॉइन करते ही जोनल कोऑर्डिनेटर से विवाद
मनोज सिंह ने साल 2004 में अपने समर्थकों के साथ मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। पार्टी जॉइन करते ही मनोज सिंह के साथ एक और घटना घटी, चलते हुए जुलूस में जोनल कोऑर्डिनेटर सोबरन सिंह कुरील की कार मनोज सिंह की JEEP से टकरा गई। जिस पर विवाद बढ़ गया। इसी घटना के दौरान मनोज सिंह के समर्थकों ने बसपा जोनल कोऑर्डिनेटर को मारा पीटा। मनोज सिंह को पार्टी से निकालने की मांग करते हुए जोनल कोऑर्डिनेटर ने मायावती से शिकायत कर दी। मगर इस घटना की जांच में पाया गया कि गलती जोनल कोऑर्डिनेटर की थी जिसके बाद सोबरन सिंह को पार्टी से हटा दिया गया।
नवंबर 2005 में सांसदों की बर्खास्तगी के खिलाफ- संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चा समिति बनाई
कानपुर देहात बिल्हौर लोक सभा (अब अकबरपुर लोकसभा) सांसद राजाराम पाल से निकटता की वजह से उनके समर्थन में मनोज सिंह संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चा समिति बनाई। क्योंकि सांसद राजाराम पाल समेत 10 सांसदों लोक सभा सदन से घूसकांड को लेकर बर्खास्त कर दिया गया था। सोमनाथ चटर्जी उस समय लोक सभा स्पीकर थे। मनोज सिंह ने प्रदेश के विभिन्न जगहों पर जाकर इस मोर्चे के माध्यम से रथ यात्रा और रैलियां निकालीं। इस मकसद देश में जागरूकता फैलाना कि सांसदों का निष्कासन असंवैधानिक था। इस मामले के छह महीने बाद सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने इस बर्खास्तगी को वैध ठहराया। लेकिन जनता ने क्लीनचिट दे दी थी। साल 2005 में पहली महिला आईपीएस किरन बेदी के साथ सुरक्षित भारत नामक संस्था में मनोज सिंह ने यूपी अंबेसडर का पद संभाला।
2006 में मायावती ने मनोज सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया
मई 2006 में मनोज सिंह ने संविधान बचाओ संघर्ष मोर्चा समिति के बैनर तले कानपुर के फूलबाग मैदान में एक रैली की। जिससे आहत होकर बसपा प्रमुख मायावती ने पूर्व सांसद राजाराम पाल और मनोज सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
जून 2006 में राजाराम पाल के साथ भारतीय सर्वोदय क्रांति पार्टी की स्थापना
मनोज सिंह ने अपने मित्र पूर्व सांसद राजाराम पाल, डॉ एससी गुप्ता समेत 4 अन्य लोगों ने भारतीय सर्वोदय पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी के तहत 2006 के उप चुनाव में मनोज सिंह ने राजाराम पाल को बिल्हौर लोकसभा सीट से उप चुनाव लड़ाया। इस पार्टी के मनोज सिंह प्रदेश अध्यक्ष थे।
2007 के विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 42 सीटों पर प्रत्याशी उतारे
अगले साल 2007 के विधानसभा चुनाव में भारतीय सर्वोदय क्रांति पार्टी से उत्तर प्रदेश की 42 सीटों पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गये। राष्ट्रीय क्रांति पार्टी, भारतीय समानता दल, अपना दल जैसे तमाम छोटे दलों से गठबंधन कर इन सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए थे। चुनाव परिणाम में पार्टी के प्रत्याशियों को अच्छे मत हासिल हुए।
2008 में कांग्रेस में सम्मित होने का प्रस्ताव
साल 2008 में केंद्र की कांग्रेस सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन पार्टी प्रभारी दिग्विजय सिंह के निर्देश पर मनोज सिंह से कांग्रेस में सम्मित होने का प्रस्ताव रखा। जिस पर राजाराम पाल और मनोज सिंह ने सहमति जताते हुए अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया।
साल 2009 में मनोज सिंह राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) का उत्तर प्रदेश यूथ इंटक अध्यक्ष बनाया गया
साल 2010 में नेशनल कोल कंज्यूमर काउंसिल, भारत सरकार का सदस्य मनोनीत किया गया
साल 2011 में उन्हें इंटक का महासचिव बनाया गया
इसी साल 2011 में परमानेंट इन्वाइटी मेंबर इंटक और वर्किंग कमेटी का मेंबर बनाया गया।
2012 में मनोज सिंह का टिकट कट गया
साल 2012 जब मनोज सिंह गोविंद नगर विधान सभा सीट से कांग्रेस की टिकट लेने जा रहे थे तो तत्कालीन सिटिंग एमएलए अजय कपूर ने पुराने विवाद के चलते मनोज सिंह को टिकट नहीं दिलाई और टिकट का विरोध कर दिया।
12 नवंबर से 17 नवंबर 2012 के बीच इंटक की ओर से मनोज सिंह को सिंगापुर सेमिनार भेजा गया। जिसमें मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा पर अपना व्याख्यान रखा।
साल 2013 मनोज सिंह को हैंडकैप्ड बोर्ड भारत सरकार का सदस्य बनाया गया
साल 2013 में तत्कालीन रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़के को इंटक के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बुलाया जिससे खुश होकर रेलमंत्री मल्लिकार्जुन ने मनोज सिंह को रेलवे सलाहकार समिति का सदस्य बना लिया।
2014 में भारतीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) की समस्त ट्रेड यूनियनों ने महंगाई के खिलाफ अपनी ही पार्टी के खिलाफ आंदोलन चला दिया
साल 2014 में मनोज सिंह को सिविल शिक्षा बोर्ड भारत सरकार और टेलीफोन सलाहकार समिति का सदस्य उन्हें बनाया गया , इसी साल 2014 में ही मनोज सिंह ने ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन और लाल इमली के मजदूरों के समर्थन में लगातार संघर्ष किया। एक साल संघर्ष के बाद उन्होंने 68 करोड़ रुपये बकाया वेतन दिलाने का काम किया।
साल 2015 प्रदेश कांग्रेस कमेटी में स्पेशल इन्वाइटी मेंबर बनाया गया
इसी साल सिंतबर 2015 में मनोज सिंह सिंगापुर दोबारा गये यंग लीडरशिप कोर्स के लिए इस 20 दिन के कोर्स में उन्होंने राजनीति की बारीकियों को समझा एशियन पैसिफिक ट्रेड यूनियन की ओर से आयोजित इस कोर्स में विश्वभर के युवा नेता शामिल थे। इस कोर्स के समापन पर मनोज सिंह को पुरस्कृत भी किया गया।
साल 2016 में सरकार के खिलाफ कई प्रदर्शन किए मजदूरों के हित और वेजेस को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन कराया। लखनऊ में भी उन्होंने एक रैली की।
साल 2017 में विधान सभा के चुनाव में बूथ तक का इलेक्शन स्ट्रक्चर खड़ा कर कांग्रेस पार्टी से युवाओं को जोड़ने का काम किया। स्थानीय निकाय चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भी मनोज सिंह को बनाया गया।
इसी साल 2017 में मनोज सिंह कांग्रेस से गोविंद नगर विधान सभा के लिए टिकट मांगी। बहुत काम करने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया। तत्कालीन विधायक अजय कपूर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने पूराने विवादों के चलते एक बार फिर मनोज सिंह का टिकट कटा दिया।
उचित प्रत्याशी न होने के कारण कांग्रेस पार्टी 2017 से लगातार गोविंद नगर सीट से लगातार आज तक हारती चली आ रही है। इस मामले को लेकर मनोज सिंह का कहना था कि कांग्रेस पार्टी ने पात्र लोगों को नहीं चुना जिसकी वजह से यह सीट पार्टी के हाथ से निकलकर भाजपा के पास जा पहुंची। इससे वह काफी आहत भी हुए जिसकी वजह से पार्टी प्रमुख नेताओं सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी एवं राहुल गांधी से दिल्ली में कई बार मिलने का प्रयास किया, मगर गांधी परिवार ने मनोज से मिलने के लिए समय नहीं दिया। इससे आहत होकर मनोज सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
साल 2019 में मनोज सिंह ने गीता पर संदेश नाम के कार्यक्रम को आयोजित कर कश्मीर के राजा डॉ. कर्ण सिंह को बुलाया। मनोज सिंह की निरंतर गतिविधियां इस साल अलग-अलग कार्यक्रमों एवं कार्यों में अनवर चलती रहीं।
इसी साल 2019 में मनोज सिंह ने भाजपा जॉइन की
उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी ने प्रदेश प्रभारी सुनील बंसल की सहमति और संतुष्टि से मनोज सिंह को तत्कालीन डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के मंच पर भाजपा की सदस्यता दिलाई। इसके बाद मनोज सिंह को भाजपा चुनाव संचालन समिति का सदस्य मनोनीत किया।
साल 2020 में भरथना (इटावा) से मंडल प्रभारी बनाया गया
साल 2020 और 2021 के कोविड काल में मनोज सिंह ने कैंप लगाकर भोजन और पानी व्यवस्था निशुल्क कराई। लावारिस लाशों का दाह संस्कार भी कराया , जरूरतमंदों को ऑक्सीजन सिलेंडर भी पहुंचाया।
साल 2021 में भाजपा के विभिन्न कार्यक्रमों से जुड़कर पार्टी को मजबूत करने का काम किया।
साल 2022 में कई विधानसभा सीटों पर रैलियां करके पार्टी प्रत्याशियों को ताकत दी, प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हो या मुख्यमंत्री का कार्यक्रम सभी में पार्टी को मजबूती देते हुए अपने समर्थकों की भीड़ के साथ सभी कार्यक्रमों को सफल बनाया।
विधान सभा चुनाव में कानपुर नगर एवं देहात दोनों पर रैलियां आयोजित कर भाजपा को मजबूती प्रदान की।
साल 2023 के शिक्षक और स्नातक विधान परिषद चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए संघर्ष किया। इसी साल मेयर के चुनाव में चुनाव संचालन समिति के सदस्य भी रहे।
पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों का सम्मेलन कराया जिसमें मनोज सिंह सह प्रभारी थे. इस मीटिंग को उन्होंने सफल बनाया। निकाय चुनाव 2023 में विभिन्न वार्डों के प्रत्याशियों को जिताने का काम किया।
जून 2023 में मोदी सरकार के 9 साल पर जन जागरूकता अभियान
साल 2023 में मई से जुलाई महीने तक लगातार मनोज सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार के पक्ष में 9 साल बेमिसाल जन जागरूकता अभियान चलाकर पार्टी को मजबूती प्रदान की। ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से मनोज सिंह ने केंद्र की भाजपा सरकारी की उपलब्धियां जन-जन तक पहुंचाने का काम किया।

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